गुस्से की दवा l Dada Dadi ki Kahani l Moral Story in Hindi for kids and Adult

Moral Story in Hindi: दोस्तों अपने बचपन में अपने दादा दादी से काफ़ी मज़ेदार कहानियाँ सुनी होगी , जिनसे हमें कोई ना कोई सीख सीखने को ज़रूर मिलती थी।

इसलिए हम आपके लिए लेकर आए हैं Best Moral stories in Hindi for Adult and Kids, Hindi Stories For class 5, 6, 7, 8, 9

एक बार दादी को देखकर सभी बच्चे बहुत खुश हो जाते है और उनसे कहते है , दादी. दादी. आप हमे कोई अच्छी सी कहानी सुनाओ न।

 

 

दादी कहती है , बच्चो ! आज मैं तुम्हे एक ऐसे ‘गुस्सेल’ लड़के की कहानी सुनाने जा रही हूँ। जिसे सुनकर शायद तुम्हें कुछ सीखने को मिले। तो चलो.. शरूआत करते है।

ग़ुस्से की दवा – Moral Story in Hindi

किसी छोटे से नगर में दिलीप नाम का लड़का अपने परिवार के साथ रहता था। वह बहुत मेहनती लड़का था, लेकिन उसके ज्यादा गुस्से करने के वजह से उसके कोई भी काम नही बनते थे।

इस व्यवहार से उसकी माँ बहुत परेशान रहती थी।

यहाँ तक कि उसके दोस्त भी बहुत कम थे और ज्यादा गुस्सा करने के वजह से लोगो ने उसका नाम
‘ गुस्सेल ‘ रख दिया था।

जब दिलीप कहीं बाहर जाता तो लोग चिल्ला – चिल्लाकर उससे कहते कि गुस्सेल.. ओ गुस्सेल , यह सुनकर दिलीप और भी आग – बबूला हो जाता।

एक बार इस बात से तंग आकर वह गहरी आवाज में खुद से कहता है , ” मेरे गुस्सा करने के वजह से आज मुझे किसी भी काम मे कोई भी सफलता नही मिली है

और आये दिन किसी न किसी से छोटी – छोटी बात पर झगड़ा होता रहता है।”

अब मैं क्या करूँ , कहाँ जाऊँ और कैसे अपने गुस्से को शांत करूँ ? इतना कहकर वह सो जाता है।

दिलीप को देखकर माँ को बहुत बुरा लगता है और मन ही मन सोचती है कि चाहे जो भी हो जाये, इस गुस्से को मैं खत्म करके ही रहूँगी।

गुस्से की दवा Dada Dadi ki Kahani Moral Story in Hindi for kids and Adult

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अगली सुबह उसकी माँ दिलीप के पास आती है और उससे कहती है – बेटा.. आज मैं माता रानी के मंदिर दर्शन करने जा रही हूँ। कल वापस आ जाऊँगी।

इतना कहकर वह वहाँ से चली जाती है और अगले दिन माता के दर्शन करके वह घर पर आ जाती है और चेहरे पर मुस्कान लेकर अपने बेटे से कहती है ,

” बेटा दिलीप..कहाँ है तू ? ये देख, मैं तेरे गुस्से का इलाज लेकर आई हूँ।

ये देख बोतल, इसमे गुस्सा कम करने की दवा भरी हुई है। ये बोतल मुझे एक बाबा ने दी है

और उन्होंने मुझसे कहा है कि, ” जब भी तुम्हें गुस्सा आये तो ये बोतल तुम अपने मुँह में लगा लेना और धीरे – धीरे इस दवा को पीना। इससे तुम्हारा गुस्सा शांत हो जाएगा। ”

अब दिलीप ऐसे ही करने लगा। जब भी उसे गुस्सा आता तो बोतल को अपने मुँह से लगा लिया करता।

ऐसे ही धीरे – धीरे दिन बीतने लगे और उसका गुस्सा बिल्कुल खत्म हो गया और उसके सारे बिगड़े हुए काम भी बनने लगे।

इस बात से खुश होकर दिलीप दौड़ता हुआ माँ के पास जाता है और कहता है – माँ. आज मैं बहुत खुश हूँ और यह खुशी सिर्फ तुम्हारे इस दवा के वजह से मिली है।

इस बोतल में ऐसी कौन सी दवा भरी हुई है, माँ.. जिसने मेरे गुस्से को खत्म कर दिया ?

मुस्कराते हुए माँ उससे कहती है – बेटा.. मैं किसी मंदिर में नही गयी थी, बल्कि तुम्हारे गुस्सा कम करने की दवा का इलाज ढूँढ रही थी और इसमे कोई दवा नही बल्कि एक ‘ साधा पानी ‘ भरा हुआ है।

जब – जब तुम्हे गुस्सा आता, तब तुम इस बोतल को अपने मुँह से लगा लेते। जिससे तुम्हें बोलने का मौका ही नही मिलता और तुम्हारा गुस्सा भी शांत हो जाता और यह पानी मुझे किसी बाबा ने नही दिया है

बल्कि यह सब कुछ मैंने ही किया है।

यह जानकर दिलीप माँ का बार – बार धन्यवाद करता है।

तब माँ उससे कहती है – बेटा.. गुस्सा कम करने की सिर्फ एक ही दवा है और वह है ” मुँह बन्द कर लेना। ”

सीख:

यदि तुम अपने गुस्से पर काबू रखोगे तो कोई भी काम आसानी से कर सकते हो, वरना चोट तुम्हें ही लगेगी।

कहानी सुनाकर दादी हँसते हुए बच्चो से कहती है – देखा बच्चो , अगर हम भी इतना गुस्सा करेंगे तो हमे भी दिलीप की तरह ही परेशानी उठानी पड़ेगी।

इसलिए जब भी गुस्सा आये तो हमे भी इस दवा को पी लेना चाहिये।

 

दोस्तों उम्मीद है की आपको इस कहानी ने सीख ज़रूर मिली होगी , अगर आपको ये Best Moral story in Hindi for Adult and Kids, Hindi Stories  पसंद आयी हो तो आप इसे share ज़रूर करिएगा ताकि लोगों को भी ये सीख सीखने को मिले।


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